अब इससे अच्छे और क्या दिन आएंगे ?
जब श्री नरेंद्र दामोदर मोदी ने प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली थी ,१५ अगस्त २०१४ लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराया था तब भारत धर्मी समाज को लगा था अब लगता है भारत आज़ाद हुआ है।
अब अपने हिन्दू होने पर शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ती। गौरवान्वित होते हैं हम भारतीय कहलाने पर विदेशों की धरती पर स्वाभिमान के साथ चलते हैं।
अब चार साढ़े चार साल के बाद पूरा भारत सारे राजनीतिक दल हिन्दू होने कहलवाने की होड़ में एड़ी छोटी का ज़ोर लगाए हुए हैं।
कोई कहता है मैं कश्मीरी कॉल ब्राह्मण हूँ ,दत्तात्रेय है मेरा गोत्र।असली हिन्दू में हूँ। और तो और नास्तिक लेफ्टिए भी हिन्दू दिखने की प्रतिस्पर्धा में किसी से पीछे नहीं दिखना चाहते। सीता राम ये -चारि भी भेष बदल रहे हैं। पहले 'सैट्रम' कहाते थे अब 'सीता -राम ' हो गए हैं।
कोई कहता है हम तो भाई साहब श्राद्ध के काले काग हैं। नैन -नक्श मिला लो नाम मिला लो। काम मिला लो -कमल पे घात करना हमारा काम रहा है। नाम है 'कमल घात'। मध्य प्रदेश में हमें जीत दिल वादो फिर देश के सांप्रदायिक संगठनों को हम ठिकाने लगा देंगे। हमारा हिंदुत्व अब जागृत अवस्था में आया है ,सुसुप्ति के नुक़सानात खुल कर हमारे सामने आ गए हैं।अब अयोध्या में मंदिर बनवाने की पहल हम करेंगे।
सुनने में यह भी आ रहा है ,बड़े पैमाने पर रामचरित मानस और भगवद्गीता की बिक्री बढ़ी है। उधर भगवान् राम साकेतनगरी से मुस्कुरा रहे हैं :सभी राम मंदिर के पक्ष में आ खड़े हुए हैं क्या कर लेंगे हैदराबादी ओवेसी ,रामपुरिया आजमखान और ऐसे ही अन्य मुस्लिम फस्टर्स। लौहा जब गर्म हो उसे मोड़ देना चाहिए।
कॉल कौन दत्तात्रेय कौन ?
राजनीति की विडंबना देखिये कल तक जो हिंदुत्व और उसके प्रतीकों का मज़ाक उड़ाते थे ,तीर्थस्थलों की हेटी करते थे ,मंदिरों को लौंडिया- छेड़ अड्डा बतलाते थे आज लिबास बदलने को मज़बूर हैं।
इनमें राजा भोज कौन है जिसने राजा दिग्गी को गंगू तेली बना दिया ,राहुल दत्तात्रेय कौन है ,श्राद्ध का कौवा कौन है और सेंट्रम येचुरी कौन है ये आप पहचानिये। चित्र हमने यहां दे दिए हैं। बाकी शिनाख्त का काम आपका है।
हिंदुत्व का डंका और शंखनाद कुछ इस तरह से हवा में गूँज रहा है कि हर कोई अपने को हिंदू कहने बतलाने को मचल उठा है। एक लोक उक्ति ज़बान पर चली आई है जो इस स्थिति का खुलासा करने के योग्य है :
जब ... लगी फटने ,नियाज़ लगी बँटने
गए होंगे आप। एक इनमें महाराजा साहब हैं जिन्होनें दिग्गी राजा को गंगू तेली बनाके छोड़ दिया है। एक जीन सम्पादित शहज़ादा है जिसका घोंघा आई क्यू ही उसका आधार कार्ड है। इन्हें अबुध कुमार के नाम से भी जाना गया है,दाता -रे ,डेटा -रे(दत्तात्रेय )भी ये खुद को कहलवा रहें हैं। मतिमंद युवराज ,मूढ़ -धन्य ,शहज़ादा आदिक अनेक नाम हैं इनके। ये सत्यवादी हरिश्चंद्र हैं। स्वामी असत्यानन्द जी केजरी -बवाल को आपने सत्य वचन कहने में बहुत पीछे छोड़ दिया है। इनका गोत्र अब तक कितनी ंबार बदल चुका है आगे कितनी बार और बदलेगा कोई नहीं जानता।अजमेर शरीफ तक इनका गोत्र कुछ और था थोड़ा और आगे ब्रह्मा जी के मंदिर तक आते आते इनका गोत्र बदल गया। मंदिर के पुजारी कॉल ने जब इनसे इनका गोत्र पूछा ये बोले हम भी कॉल हैं ,पीछे से किसी ने फुसफुसाया गोत्र पूछ रहे हैं पंडित जी ये बोले 'डटा -रे ' .पंडित जी बोले अच्छा अच्छा दत्तात्रेय। अब तो लोगों ने इन्हें वर्ण -संकर भी कहना बंद कर दिया है ये वर्ण -संकरों के भी मास्टर वर्ण -संकर हैं। आप चाहे तो इन्हें आचार्य वर्ण -संकर भगवान् दत्तात्रेय कह सकते हैं जिनके चोबीस गुरु थे। इनके कितने हैं ये खुद भी नहीं जानते।आजकल इन्हें भारतीय राजनीति का 'राहु ' कहा जाता है कल किसे मालूम है।ये पिचत्तिस शहज़ादा यदि वास्तव में दत्तात्रेय है तो इनकी अम्मा को तो पता होगा कहलवा के दिखला दो सोनिया से दत्तात्रेय हम मान लेंगे ये वास्तव में सत्यवादी हरसिंहचंद्र ही हैं।
kabirakhadabazarmein.blogspot.com
सुनने में यह भी आया है अपने अखिलेश भैया शिव मंदिर बनवा रहें हैं ममता जी बनर्जी दुर्गा के व्रत रख रहीं है भगवद्गीता बाँट रहीं हैं। अब तक अपने किए पर शर्मिंदा हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=3reUw5gIZSU
Rahul Gandhi reveals his 'gotra' at Pushkar temple
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जब श्री नरेंद्र दामोदर मोदी ने प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली थी ,१५ अगस्त २०१४ लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराया था तब भारत धर्मी समाज को लगा था अब लगता है भारत आज़ाद हुआ है।
अब अपने हिन्दू होने पर शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ती। गौरवान्वित होते हैं हम भारतीय कहलाने पर विदेशों की धरती पर स्वाभिमान के साथ चलते हैं।
अब चार साढ़े चार साल के बाद पूरा भारत सारे राजनीतिक दल हिन्दू होने कहलवाने की होड़ में एड़ी छोटी का ज़ोर लगाए हुए हैं।
कोई कहता है मैं कश्मीरी कॉल ब्राह्मण हूँ ,दत्तात्रेय है मेरा गोत्र।असली हिन्दू में हूँ। और तो और नास्तिक लेफ्टिए भी हिन्दू दिखने की प्रतिस्पर्धा में किसी से पीछे नहीं दिखना चाहते। सीता राम ये -चारि भी भेष बदल रहे हैं। पहले 'सैट्रम' कहाते थे अब 'सीता -राम ' हो गए हैं।
कोई कहता है हम तो भाई साहब श्राद्ध के काले काग हैं। नैन -नक्श मिला लो नाम मिला लो। काम मिला लो -कमल पे घात करना हमारा काम रहा है। नाम है 'कमल घात'। मध्य प्रदेश में हमें जीत दिल वादो फिर देश के सांप्रदायिक संगठनों को हम ठिकाने लगा देंगे। हमारा हिंदुत्व अब जागृत अवस्था में आया है ,सुसुप्ति के नुक़सानात खुल कर हमारे सामने आ गए हैं।अब अयोध्या में मंदिर बनवाने की पहल हम करेंगे।
सुनने में यह भी आ रहा है ,बड़े पैमाने पर रामचरित मानस और भगवद्गीता की बिक्री बढ़ी है। उधर भगवान् राम साकेतनगरी से मुस्कुरा रहे हैं :सभी राम मंदिर के पक्ष में आ खड़े हुए हैं क्या कर लेंगे हैदराबादी ओवेसी ,रामपुरिया आजमखान और ऐसे ही अन्य मुस्लिम फस्टर्स। लौहा जब गर्म हो उसे मोड़ देना चाहिए।
कॉल कौन दत्तात्रेय कौन ?
राजनीति की विडंबना देखिये कल तक जो हिंदुत्व और उसके प्रतीकों का मज़ाक उड़ाते थे ,तीर्थस्थलों की हेटी करते थे ,मंदिरों को लौंडिया- छेड़ अड्डा बतलाते थे आज लिबास बदलने को मज़बूर हैं।
इनमें राजा भोज कौन है जिसने राजा दिग्गी को गंगू तेली बना दिया ,राहुल दत्तात्रेय कौन है ,श्राद्ध का कौवा कौन है और सेंट्रम येचुरी कौन है ये आप पहचानिये। चित्र हमने यहां दे दिए हैं। बाकी शिनाख्त का काम आपका है।
हिंदुत्व का डंका और शंखनाद कुछ इस तरह से हवा में गूँज रहा है कि हर कोई अपने को हिंदू कहने बतलाने को मचल उठा है। एक लोक उक्ति ज़बान पर चली आई है जो इस स्थिति का खुलासा करने के योग्य है :
जब ... लगी फटने ,नियाज़ लगी बँटने
पुनश्चय :
ये हैं दोस्तों !बहरूपिये !भले आप इन्हें 'वेषधारी भगत' कह लें। काम सभी का एक ही है। हिन्दुस्तान को कैसे तोड़ा जाए। सनातन परम्पराओं को कैसे पलीता लगाया जाए। इनमें कई बौद्धिक भकुए हैं मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलाम हैं आजकल इन्हें जेहादियों से पैसा मिल रहा है , शर्त एक ही है राष्ट्रवादी सांस्कृतिक भारत से ताल्लुक रखने वाली हर संस्था से घृणा की जाए। फिर चाहे पेड़ पे सोना पड़े या कैलाश की छद्म यात्रा करनी पड़े। इनमें एक है स्याह काला काग उर्फ़ कमल घात , पहचान
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JAIPUR:
Details of Rahul Gandhi's gotra have been "revealed" by a priest in Rajasthan, where the Congress president visited a temple while campaigning on Monday for the December 7 state election. He is a "Dattatreya" and a Kashmiri Brahmin, said a priest in a temple by the famous lake Pushkar.
That answers a question raised by BJP spokesperson Sambit Patra, who had last month targeted Rahul Gandhi over his party's pronouncement -- to justify his temple visits in poll-bound states -- that he is a "janeu-dhari Brahmin".
"Rahul Gandhi wears a janeu (sacred thread). We want to ask him what kind of jenau-dhari are you? What is your gotra," questioned Sambit Patra, speaking in Madhya Pradesh, which is among the states where elections are being held.
"His gotra is Dattatreya and he is a Kashmiri Brahmin. Motilal Nehru, Jawaharlal Nehru, Indira Gandhi, Sanjay Gandhi, Maneka Gandhi and Sonia Gandhi have come and offered prayers at the ghat and it is recorded with us," Dinanath Kaul, the Rajasthan priest, told reporters.
He claimed to have old records of the Nehru-Gandhi family tree. He also told reporters that his ancestors had performed special pujas with Jawaharlal Nehru (India's first prime minister and Rahul Gandhi's great-grandfather) and his father Motilal Nehru at the Pushkar Sarovar.
"(Rahul) Gandhi came and offered prayers at the ghat. He also said his gotra is Dattatreya. Dattatreya are Kauls and Kauls are Kashmiri Brahmin," said Dinanath Kaul, offering a glimpse of the family records.
The Congress chief yesterday also visited the Ajmer shrine before addressing a string of election rallies.
The religious stops have been criticised by the BJP as soft-Hindutva to sway voters. Last year, Rahul Gandhi responded to criticism of his visit to the Somnath temple saying: "Main Shiv ka bhakt hoon, sachaai mein believe karta hoon. BJP jo bhi bole main apni sachaai mein believe karta hu (I am a devotee of Shiv. The BJP may say anything, but I will remain honest.)"
The back-and-forth on religion, caste and gotra -- which refers to a clan or a descendant from a common ancestor -- have drawn eye-rolls from critics who have bemoaned the sharp dive in the quality of political discourse this election season.
The results of the state elections will be announced on December 11.
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