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Showing posts from November, 2018

अब इससे अच्छे और क्या दिन आएंगे ?

अब इससे अच्छे और क्या दिन आएंगे ? जब श्री नरेंद्र दामोदर  मोदी ने प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली थी ,१५ अगस्त २०१४ लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराया था तब भारत धर्मी समाज को लगा था अब लगता है भारत आज़ाद हुआ है।  अब अपने हिन्दू होने पर शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ती। गौरवान्वित होते हैं हम भारतीय कहलाने पर विदेशों की धरती पर स्वाभिमान के साथ चलते हैं।  अब चार साढ़े चार साल के बाद पूरा भारत सारे राजनीतिक दल हिन्दू होने कहलवाने की होड़ में एड़ी छोटी का ज़ोर लगाए हुए हैं।  कोई कहता है मैं कश्मीरी  कॉल ब्राह्मण हूँ ,दत्तात्रेय है मेरा गोत्र।असली हिन्दू में हूँ। और तो और नास्तिक लेफ्टिए भी हिन्दू दिखने की प्रतिस्पर्धा में किसी से पीछे नहीं दिखना चाहते। सीता राम ये -चारि भी भेष बदल रहे हैं। पहले  'सैट्रम'  कहाते थे अब 'सीता -राम ' हो गए हैं।  कोई कहता है हम तो भाई साहब श्राद्ध के काले काग हैं। नैन -नक्श मिला लो नाम मिला लो। काम मिला लो -कमल पे घात करना हमारा काम रहा है। नाम है 'कमल घात'। मध्य प्रदेश में हमें जीत दिल वादो फिर देश के सांप्रदायिक संगठनों को हम ठिकाने

Modi is a ‘nalayak’ son who cannot take care of his mother: Kanhaiya Kumar(HINDI )

KANHAIYA KUMAR  ON SUNDAY MADE A CONTROVERSIAL REMARK AGAINST PRIME MINISTER  NARENDRA MODI , CALLING HIM 'NALAYAK' FOR NOT TAKING CARE OF HIS MOTHER.   'कन्हैया' कान्हा ,मुरली मनोहर ,माधव ,कृष्ण ,मुरारी ,दामोदर भारतीय बाल मन का आलम्बन था। आज भी भारत की भोर का पहला स्वर कान्हां है।  एक कन्हैया भारतीय राजनीति का अपशब्द है ,एक अद्भुत शिशुपाल का राजनीतिक अवतरण है जो ऐयाशों के अड्डे से पोषण प्राप्त कर रहा है। भारतीय अन्न खा रहा है और यहीं  बिष्ठा फेंक रहा है।हैदराबादी ओवेसी जैसों ने एक वेमुला को गौ मांस भक्षण करवाया था। वामपंथियों ने वेमुला को खूब पोषा था। आजकल वह ऐयाश नेहरू के नाम पर चल रहे एक मदरसे के अभूतपूर्व  छात्र को बौद्धिक  भकुओं के खेमे में पाल रहे हैं।इसी का नाम राजनीति का अभिशाप बन गया "कन्हैया" है", जिग्नेश मेवानी" है ,"हार्दिक पटेल" है इन  सबकी काया भले अलग अलग दीखती है ब्लड ग्रुप यकसां हैं।  शिशुपाल -कन्हैया न नेहरुवियन विरासत  से वाकिफ है न इस देश की संस्कृति और अदब से। अपने माँ बाप के चरण दबाने तो ये ऐयाश पुत्र कहाँ जाता

कफ की समस्या है :दूध पीने से नहीं होगा नुक्सान

कफ की समस्या है तो भी पीते रहें दूध, नहीं होगा नुक्सान। खानपान में भी वर्जनाओं का प्रवेश कई चीज़ों को लेकर देखा जाता है खांसी जुकाम ,पुराने बलगम में दूध न पीने की सलाह भी कुछ - कुछ ऐसी ही है जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।बेहद नुकसानी उठानी पड़ सकती है इन गफलतों की।   यथार्थ : दूध और दुग्ध उत्पाद लेने से कफ नहीं बनता है इसके विपरीत डेयरी प्रोडक्ट्स न लेने से ,पोषकता की कमी से ,मांसपेशियों में दर्द ,बेहद की थकान और अस्थियों के घनत्व में गिरावट आ सकती है अस्थियां (हड्डियां )कमज़ोर होकर हलकी फुलकी चोट लगने से भी टूट सकतीं हैं।  COPD -Chronic Obsessive Pulmonary Disease  या पुरानी चली आई फेफड़ों की थैलों में सूजन एवं संक्रमण से Chronic Bronchitis से जुड़ी लाइलाज बीमारी है जिसमें सांस नालियों में सूजन आ जाती है। असरग्रस्त व्यक्ति को ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है। वजन में गिरावट आने लगती है अगर वक्त पर इलाज़ मयस्सर न हो तो मर्ज़ लाइलाज COPD SYNDROME चरण में तब्दील हो जाता है।  इस मर्ज़ के दुनियाभर में तकरीबन सात करोड़ और अकेले भारत में कोई तीन करोड़ मामले हैं। इस लाइलाज

Americans sit too much, CDC says(HINDI ALSO )

दुनिया भर में आज कितने लोग एक जगह बैठे -बैठे ही घंटों काम करते हैं सहज अनुमेय है। मालूम सबको यह भी है के कितने ही इनमें से ऐसे लोग भी हैं जिनकी ज़िंदगी से किसी भी किस्म की कसरत ,तेज़क़दमी किसी भी प्रकार का व्यायाम बहुत दूर है।  दोनों दोषों मजबूरियों की दुरभिसंधि असामयिक मृत्यु के खतरों को बढ़ा देती है।  इस खतरे से बाहर आने का रास्ता , समाधान कोई बहुत मुश्किल नहीं है   : (१ )सप्ताहांत में दिनचर्या में कसरत को खुलकर जगह दीजिये रोज़मर्रा में भी जितना हो सके सक्रिय रहिए और कुछ नहीं तो दफ्तर में ही अपनी सीट से उठकर हर आधा घंटा बैठे -बैठे काम करने के बीच -बीच में पांच मिनिट तेज़ तेज़ घूमिये यह मुमकिन होना चाहिए।  यकीन मानिये आपके आसपास इसी दफतर में कमोबेश ३ फीसद के करीब ऐसे लोग भी मिल जायेंगे जो इसे बाकायदा अपना रहें हैं। कसरत जिनके जीवन का हिस्सा बन चुकी है।  (२ )हफ्ते में दो ढाई घंटा वातापेक्षी व्यायाम जिसमें ऑक्सीजन की खपत ज्यादा रहती है अपनी सामर्थ्य के अनुरूप अपनाये। मसलन साइकिल चलाना ,तैरना ,दौड़ना ,जॉगिंग ,ट्रेड मिल पे चलना आदिक जो भी मुमकिन हो। पेशियों को पुख्ता बनाने वाले व्याया

Americans sit too much, CDC says

Pause Mute Mute   Fullscreen Now Playing Is sitting the new... Is sitting the new smoking?   01:10 (CNN) You've heard it before, but the message is still urgent: One in four US adults sits for more than eight hours a day, according to a new study from the US Centers for Disease Control and Prevention. Four in 10 adults do not exercise to either a vigorous or even moderate degree each week, the analysis also reveals. Add to that, one in every 10 Americans reports both behaviors -- sitting for more than eight hours a day and being physically inactive -- according to the study,  published Tuesday  in the medical journal JAMA. "Both high sedentary behavior and physical inactivity have negative health effects," the authors of the study said. "And evidence suggests that the risk of premature mortality is partic